हर दिन स्मार्टफोन का घंटों तक इस्तेमाल करने से आप पर आपकी सोच से भी ज्यादा नकारात्मक असर पड़ रहा है। कनाडा के टोरंटो वेस्टर्न हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि हर दिन स्मार्टफोन और सोशल मीडिया पर ज्यादा वक्त बिताने से मानसिक तनाव बढ़ता है और अपनी जान लेने जैसे नकारात्मक विचार मन में ज्यादा आते हैं। 
सीएमएजे नाम की पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन की रिपोर्ट द्वारा डॉक्टर, अभिभावक और टीचर्स के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं कि कैसे वे टीनएजर्स को स्मार्टफोन की इस लत से दूर करने में मदद कर सकते हैं। 
शोधकर्ताओं ने इस लत से छुटकारा पाने के लिए नींद, पढ़ाई, सामाजिक गतिविधियों, रिश्तों और ऑनलाइन गतिविधियों के बीच सही संतुलन बनाने की सलाह दी है।

स्मार्टफोन और इंटरनेट की लत दे सकती है गंभीर बीमारी

यदि आप लंबे समय तक स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं तो आपको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। दक्षिण कोरिया में हुई ताजा शोध के अनुसार, स्मार्टफोन की लत से किशोरों में तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी खतनाक समस्याएं बढ़ रही हैं।
दक्षिण कोरिया की कोरिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि स्मार्टफोन और इंटरनेट के लती नौजवानों में दिमागी रसायन का असंतुलन में असंतुलन पाया गया है। शोधकर्ताओं ने दिमाग में स्मार्टफोन के प्रभाव को अध्ययन करने के लिए मैग्नेटिक रिसॉनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (एमआरएस) का इस्तेमाल किया। एमआरएस एक प्रकार का एमआरआई है जिससे दिमाग के रसायनिक संतुलन का अध्ययन किया जाता है।
यह शोध रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका (RSNA)के वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया गया। इस शोध में 19 नौ जवान शामिल हैं जिन पर हुए इंटरनेट के दुष्प्रभाव का इलाज किया गया है। इन युवाओं में इंटरनेट और स्मार्टफोन की लत चुकी थी। अध्यन में इन प्रभावित युवकों की तुलना स्वस्थ लोगों से की गई। इसके बाद 12 युवकों को एक विशेष प्रकार की व्यवहारिक थेरेपी दी गई। यह थेरिपी गेमिंग एडिक्शन के लिए दी जाती है जो कि इस शोध का एक हिस्सा रही।
शोधकर्ताओं ने बताया कि स्मार्टफोन और इंटरनेट की लत को लेकर एक मानकयुक्त टेस्ट किया जिससे कि यह पता किया जा सके कि इसकी लत युवाओं में कितनी तेज है। टेस्ट में ऐसे सवालों को रखा गया कि जिससे पता लगाया जा सके कि स्मार्टफोन लोगों के दैनिक जीवन, सामाजिक जीवन, नींद का समय और भावनाएं कितना प्रभावित करता है। इस टेस्ट में पाया गया कि जिस युवक का स्कोर हाई था उसमें उतना ज्यादा इंटरनेट और स्मार्टफोन का प्रभाव था।
शोध में दिमाग में मौजूद रसायन गामा एम्यूनोब्यूटीरिक एसिड (GABA) जोकि दिमाग में न्यूट्रोट्रांसमीटर का काम करता है। इसके प्रभावित होने से दिमाग को मिलने वाले धीमे हो जाते है और न्यूरोट्रांसमीटर दिमाग की नसों को उत्तेजित बनाए रखता है। यही कारण है जो दिमाग को प्रभावित करने वाली समस्याएं जैसे तनाव, चिंता और अनिद्रा बढ़ जाती हैं।